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फाल्गुनी विनायक चतुर्थी व्रत- 23 फरवरी 2023

विनायक चतुर्थी व्रत 2023 विशेष महत्व-

विनायक चतुर्थी व्रत फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है इस बार 23 फरवरी 2023 को यह व्रत रखा जाएगा !

फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है  इस व्रत को करने से हमारी सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं कहते हैं जो फाल्गुनी मास की विनायक चतुर्थी का व्रत करता है उसके शीघ्र ही सभी कार्य संपन्न हो जाते हैं !

इस दिन से आप अपनी मनोकामना को पूर्ण करने के लिए व्रत रखना शुरू करें मान्यता है कि एक वर्ष के अंदर ही सभी मनोकामना सम्पन्न हो जाएंगी ।

जिनकी शादी नहीं हो रही हो वह शादी का प्रण लेकर व्रत रखें! जिनको संतान नहीं है वह संतान के निमित्त से व्रत रखें !        जिनके घर में सुख-शांति नहीं है वो भी इस व्रत को कर सकते हैं।

कैसे करें पूजा ?

चतुर्थी के दिन प्रातः स्नान इत्यादि से निवृत्त होकर भगवान गणपति जी की प्रतिमा को एक चौकी पर सजाएं!                 उसके पश्चात उनका ध्यान करते हुए उनको चावल और पुष्प चढ़ाएं फिर उनका सिंगार करें उसके बाद आरती उतारे एवं उन्हें भोग लगाएं ।

चतुर्थी के दिन भगवान गणेश को लड्डू का भोग लगाएं एवं वंश वृद्धि के लिए दूर्वा घास अर्पित करें ऐसा करने से सभी मनोरथ सिद्ध होंगे !

तत्पश्चात ॐ गण गण पतये नमः” इस मंत्र का ज्यादा से ज्यादा जप करें ऐसा करने से सभी मनोरथ शीघ्र ही सिद्ध होते हैं । At Companiesthatbuyhouses.co, we prioritize meeting the demands of our customers. Our team assists home buyers and sellers in closing their transactions. Marketing’s primary objective is to pique the interest of shoppers who are already in the market for products like yours. The pricing negotiation process will kick off with the details you provide. When selling your home, we will be here to help you every step of the process. Let us assist you in making a favorable beginning to your journey. Visit https://www.companiesthatbuyhouses.co/florida/home-buying-company-ocala-fl/.

फाल्गुनी अमावस्या महत्व

फाल्गुनी अमावस्या का महत्व-

फाल्गुनी अमावस्या सभी अमावस्या में विशेष महत्व रखती है इस दिन भगवान विष्णु साक्षात पितरों का स्वरूप लेकर पृथ्वी पर आते हैं !

कहते हैं इस दिन गंगा या किसी तीर्थ स्थान पर स्नान करने से हमारे पित्तरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है एवं इस दिन दान पुण्य करना किसी ब्राह्मण को भोजन कराना या गरीबों को दान करना गरीबों को भोजन कराने से हमारे पित्र देवता तृप्त होते हैं!

आज के दिन सबसे पहले अपने घर में अमावस्या का प्रसाद बनाएं उसके पश्चात उस प्रसाद को भगवान को भोग लगाएं एवं गाय इत्यादि को भी प्रसाद दें ब्राह्मण को भोजन कराएं एवं वस्त्र दान करें ऐसा करने से हमारे पितृ प्रसन्न होते हैं और अपना आशीर्वाद हमारे परिवार पर देते हैं ।

आमलकी एकादशी एवं रंगभरी एकादशी कब है एवं कैसे करें पूजा ?

आमलकी एकादशी एवं रंगभरी एकादशी कब है एवं कैसे करें पूजा ?

हिंदू धर्म के अनुसार हर माह में दो एकादशी व्रत होते हैं। फाल्गुन मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को आमलकी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। वैसे तो हिंदू धर्म के अनुसार सभी एकादशियों का काफी महत्व माना गया है, लेकिन इन सब में आमलकी एकादशी को सर्वोत्तम स्थान पर रखा गया है। आमलकी एकादशी के दिन श्री हरि विष्णु और आंवले के पेड़ की पूजा की जाती है। मान्यता है कि आंवले का वृक्ष भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय होता है। आमलकी एकादशी को कुछ लोग आंवला एकादशी या आमली ग्यारस भी कहते हैं।
ये होली से कुछ दिन पहले पड़ती है, इसलिए इसे रंगभरी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।
पंचांग के अनुसार इस बार आमलकी एकादशी का व्रत 3 मार्च 2023 को शुक्रवार के दिन रखा जाएगा !

आमली एकादशी एवं रंगभरी एकादशी पूजन-

रंगभरी एकादशी के दिन शिवलिंग पर लाल रंग का गुलाल और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की सामग्री अर्पित करें. एकादशी के दिन रात्रि जागरण करने से व्रत का प्रभाव अधिक बढ़ जाता है.
ऐसे में रात में विष्णु जी के समक्ष 9 बत्तियों का दीपक जलाएं तथा एक बड़ा दीया अलग से प्रज्वलित करें, जो रातभर जलता रहें. शिव और विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें. मान्यता है इससे जीवन में धन-संपत्ति की समस्या का समाधान होता है. वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है ।

षटतिला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं।।

षटतिला एकादशी की हार्दिक शुभकामनाएं।।

एकादशी व्रत का महत्व-

हिन्दू शास्त्रों के अनुसार एकादशी में दो शब्द होते हैं एक (1) और दशा (10)। दस इंद्रियों और मन की क्रियाओं को सांसारिक वस्तुओं से ईश्वर में बदलना ही सच्ची एकादशी है। एकादशी का अर्थ है कि हमें अपनी 10 इंद्रियों और 1 मन को नियंत्रित करना चाहिए। मन में काम, क्रोध, लोभ आदि के कुविचार नहीं आने देने चाहिए। एकादशी एक तपस्या है जो केवल भगवान को महसूस करने और प्रसन्न करने के लिए की जानी चाहिए।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिलता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है, अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता, शत्रुओं का नाश होता है, धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 17 जनवरी 2023, मंगलवार शाम 6 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो 18 जनवरी 2023, बुधवार शाम 4 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 18 जनवरी 2023 को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा ।

षटतिला एकादशी 2023 पूजा विधि-

षटतिला एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद मंदिर में जाकर भगवान विष्णु की पूजा करें श्रीहरि को पुष्प, धूप आदि अर्पित करें भगवान विष्णु की आरती करें भगवान विष्णु को तिल से बनी वस्तुओं का भोग लगाएं इस दिन तिल का दान करें व्रत के दौरान भगवान विष्णु की आराधना करें ।

आप सभी को लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं ।

आप सभी को लोहड़ी की हार्दिक शुभकामनाएं ।

मकर संक्रांति की ही तरह लोहड़ी भी उत्तर भारत का प्रमुख पर्व है। खासकर पंजाब और हरियाणा में इसे बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। ये पर्व मकर संक्रांति के एक दिन पहले मनाया जाता है। आमतौर पर लोहड़ी का पर्व सिख समुदाय के लोग मनाते हैं। इस पावन दिन पर लकड़ियों और उपलों से घर के बाहर या फिर खुली जगह पर आग जलाई जाती है। उस आग के चारों ओर परिक्रमा की जाती है। लोहड़ी के पावन पर्व पर नई फसल को काटा जाता है। कटी हुई फसल का भोग सबसे पहले अग्नि को लगाया जाता है। आग के चारों तरफ चक्कर लगाकर सभी लोग अपने सुखी जीवन की कामना करते हैं। लोहड़ी के दिन आग में तिल, गुड़, गजक, रेवड़ी और मूंगफली चढ़ाई जाती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं इस साल किस दिन मनाई जाएगी !

मकर संक्रांति

मकर संक्रांति कब मनाई जाएगी-

मकर संक्रांति के दिन पूजा पाठ, स्नान, दान, पूजा पाठ और तिल खाने की परंपरा है। मकर संक्रांति का पर्व वैसे तो हर साल 14 जनवरी को मनाया जाता है लेकिन, इस बार मकर संक्रांति का पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा।
दरअसल, मकर संक्रांति की तिथि का आरंभ रात में 8 बजकर 42 मिनट से हो रहा है।
ऐसे में उदय तिथि में यानी 15 जनवरी 2023 को मकर संक्रांति मनाई जाएगी।

मकर संक्रांति 2023 पूजा विधि-

मकर संक्रांति के दिन सुबह जल्दी उठकर किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। फिर इसके बाद साफ वस्त्र पहनकर तांबे के लोटे में पानी भर लें और उसमें काला तिल, गुड़ का छोटा सा टुकड़ा और गंगाजल लेकर सूर्यदेव के मंत्रों का जाप करते हुए अर्घ्य दें। इस दिन सूर्यदेव को अर्घ्य देने के साथ ही शनिदेव को भी जल अर्पित करें। इसके बाद गरीबों को तिल और खिचड़ी का दान करें।

मकर संक्रांति के दिन करें ये उपाय-

मकर संक्रांति के दिन यदि आपके घर पर कोई भिखारी, साधु, बुजुर्ग या असहाय व्यक्ति आता है, तो उसे घर से खाली हाथ न जाने दें। अपने सामर्थ्य के अनुसार उसे कुछ न कुछ दान देकर ही विदा करें, क्योंकि इस दिन दान का बहुत महत्व होता है। इस दिन दान में देने के लिए तिल का कोई भी सामान हो तो और भी अच्छा माना जाता है।

षटतिला एकादशी 2023

एकादशी व्रत का महत्व-

वैदिक संस्कृति में प्राचीन काल से ही योगी और ऋषि इन्द्रिय क्रियाओं को भौतिकवाद से देवत्व की ओर मोड़ने को महत्व देते आ रहे हैं। एकादशी का व्रत उसी साधना में से एक है। हिन्दू शास्त्रों के अनुसार एकादशी में दो शब्द होते हैं एक (1) और दशा (10)। दस इंद्रियों और मन की क्रियाओं को सांसारिक वस्तुओं से ईश्वर में बदलना ही सच्ची एकादशी है। एकादशी का अर्थ है कि हमें अपनी 10 इंद्रियों और 1 मन को नियंत्रित करना चाहिए। मन में काम, क्रोध, लोभ आदि के कुविचार नहीं आने देने चाहिए। एकादशी एक तपस्या है जो केवल भगवान को महसूस करने और प्रसन्न करने के लिए की जानी चाहिए।
हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार एकादशी तिथि भगवान विष्णु को बेहद प्रिय है। पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत की महिमा स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को बताई थी। एकादशी व्रत के प्रभाव से जातक को मोक्ष मिलता है और सभी कार्य सिद्ध हो जाते हैं, दरिद्रता दूर होती है, अकाल मृत्यु का भय नहीं सताता, शत्रुओं का नाश होता है, धन, ऐश्वर्य, कीर्ति, पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता रहता है।

हिंदू पंचांग के अनुसार, माघ कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 17 जनवरी 2023, मंगलवार शाम 6 बजकर 5 मिनट पर प्रारंभ होगी, जो 18 जनवरी 2023, बुधवार शाम 4 बजकर 3 मिनट पर समाप्त होगी. ऐसे में 18 जनवरी 2023 को षटतिला एकादशी का व्रत रखा जाएगा ।

षटतिला एकादशी 2023 पूजा विधि-

षटतिला एकादशी पर सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद मंदिर में जाकर भगवान विष्णु की पूजा करें. श्रीहरि को पुष्प, धूप आदि अर्पित करें. भगवान विष्णु की आरती करें. भगवान विष्णु को तिल से बनी वस्तुओं का भोग लगाएं. इस दिन तिल का दान करें. व्रत के दौरान भगवान विष्णु की आराधना करें ।

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