चैत्र नवरात्रि की महाअष्टमी, कन्या पूजन का जानें शुभ मुहूर्त, कथा, मंत्र और पूजा विधि-
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति हैं महागौरी~
महागौरी को एक सौम्य देवी माना गया है. महागौरी को मां दुर्गा की आठवीं शक्ति भी कहा गया है. महागौरी की चार भुजाएं हैं और ये वृषभ की सवारी करती हैं. इनके ऊपर के दाहिने हाथ में अभय मुद्रा और नीचे वाले दाहिने हाथ में त्रिशूल है. ऊपर वाले बाएं हाथ में डमरू और नीचे के बाएं हाथ में वर-मुद्रा है.
पूजा विधि-
चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि महागौरी को समर्पित है. इस दिन मां महागौरी को नारियल का भोग लगाते हैं. महागौरी की पूजा अन्य देवियों की तरह की जाती है. लेकिन मां महागौरी की पूजा में कुछ विशेष बातों का ध्यान रखा जाता है. रात की रानी के पुष्प का प्रयोग करना चाहिए. क्योंकि ये फूल माता को अधिक पसंद है. माता को चौकी पर स्थापित करने से पहले गंगाजल से स्थान को पवित्र करें और चौकी पर श्रीगणेश, वरुण, नवग्रह, षोडश मातृका यानी 16 देवियां, सप्त घृत मातृका यानी सात सिंदूर की बिंदी लगाकर स्थापना करें. मां महागौरी की सप्तशती मंत्रों से पूजा करनी चाहिए ।
पूजा की सामग्री
– गंगा जल
– शुद्ध जल
– कच्चा दूध
– दही
– पंचामृत
– वस्त्र
– सौभाग्य सूत्र
– चंदन रोली,
– हल्दी, सिंदूर
– दुर्वा
– बिल्वपत्र
इसके साथ ही आभूषण,पान के पत्ते, पुष्प-हार, सुगंधित द्रव्य, धूप-दीप, नैवेद्य, फल, धूप, कपूर, लौंग और अगरबत्ती आदि का प्रयोग पूजा में करना चाहिए.
अष्टमी तिथि शुभ मुहूर्त-
पंचांग के अनुसार 28 मार्च मंगलवार को रात्रि 19 बजकर 01 मिनट के बाद से अष्टमी की तिथि का आरंभ होगा 29 मार्च रात्रि 21 बजकर 06 मिनट पर अष्टमी की तिथि का समापन होगा इसके बाद नवमी तिथि प्रारंभ होगी ।
- अतः जिन परिवारों में अष्टमी की कढ़ाई होती है वो सभी 29 मार्च सूर्योदय के पश्चात कभी भी कन्या पूजन कर सकते हैं।
।। एस्ट्रोज्योति वैदिक संस्थान ।।